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|रचनाकार=हस्तीमल 'हस्ती'
|संग्रह=प्यार का पहला ख़त / हस्तीमल 'हस्ती'
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<poem>इश्क तो है ऐसा मंतर क्या बताएँ आपको
संग को भी कर दे गौहर क्या बताएँ आपको

देखते हैं आपको जब सोचते हैं देर तक
चांद, शीशा, गुल, सुख़नवर, क्या बताएँ आपको

आप तो मिलने की कहकर खो गए हमने मगर
दिन गिने हैं ज़िंदगी भर क्या बताएँ आपको

इश्क के मारे हैं सब शैदाई हैं सब इश्क के
क्या सुख़नवर क्या कलंदर, क्या बताएँ आपको

जो हवेली प्यार की क़ीमत नहीं पहचानती
एक दिन हो जाती खण्डहर क्या बताएँ आपको
</poem>