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मै निर्धन-कंगाल, तूं राजा रायसिंह की जाई / ललित कुमार
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06:50, 8 फ़रवरी 2019
हिणै कै घर सुथरी बहूँ, कोए खोटी धरले नीत बीना,
आग-पाणी का ना मेल बताया, तूं कितै ल्याई या रीत बीना,
गाम बुवाणी
चली जाईये (
चाली आई
)
, करकै गुर्जर तै प्रीत बीना,कहरया तनै ललित बीना, मत
लावै (
लुवावै
)
चाँद कै स्याही ||
</poem>
Sandeeap Sharma
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