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हलकी नीली यादें / नादिया अंजुमन / अनिल जनविजय
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22:25, 8 मार्च 2019
ओ मेरे रत्नों और जवाहरातो !
क्यों ख़ामोशी के कीचड़ में सोए हुए हो तुम ?
ओ मेरे
अवाम
आवाम
! गुम हो चुकी हैं तुम्हारी यादें
तुम्हारी हलकी नीली, वो आसमानी यादें ।
अनिल जनविजय
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