|रचनाकार=उमेश बहादुरपुरी
|अनुवादक=
|संग्रह=संगम / उमेश बहादुरपुरी
}}
{{KKCatBhojpuriRachna}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
हे खून हमर रग में भी समझल न´् नञ् करऽ पानी।पानीसबसे पहिले दोस्त हमर हम ही हिंदुस्तानी।।हिंदुस्तानीआजाद वतन के पक्षी ही बोलऽ ही प्यार के भाषा।भाषाप्यार प्यर हमर मजहब हे, हे प्यार हमर परिभाषा।परिभाषाही अप्पन मन के राजा हम हम ही राजाजानी।। राजाजानीसबसे ....पहरेदार अमन के ही न´् नञ् हमरा समझऽ मुँहचोर।मुँहचोरपहरेदार वतन के ही न´् नञ् हमरा समझऽ कमजोर।कमजोरकमजोर समझे के हमरा तूँ न´ नञ् करिहा नादानी।।नादानीहोवे वतन के बदनामी ई हमरा न´् मंजूर।नञ् मंजूरनहला पर दहला मारब ई हे हम्मर दस्तूर।दस्तूरहम तोहरा बतला देही अंदाज हमर तूफानी।।तूफानी
</poem>