1,272 bytes added,
16:13, 18 मार्च 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना वर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=शाम सुहानी / रंजना वर्मा
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
जब बुढ़ापे में तुम्हारा जिस्म ये ढल जायेगा
बस तभी तो प्यार सच्चा भी तुम्हे मिल जायेगा
पल रही दिल में हमारे ज्यों तमन्ना आरजू
बस उसी मानिंद दिल में दर्द भी पल जायेगा
सूर्य की किरणें सुबह जब हैं जमीं को चूमतीं
पद्म सर के पद्म-सा मन भी मेरा खिल जायेगा
छोड़ना उम्मीद मत अब हौसला टूटे नहीं
हो अँधेरा आस का दीपक वहीं जल जायेगा
जिंदगी की राह में गिनती न मोड़ों की करो
यदि लगाया वृक्ष श्रम का तो न निष्फल जायेगा
</poem>