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07:32, 19 मार्च 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना वर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=शाम सुहानी / रंजना वर्मा
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
इस दौर में तो ज़िन्दगी जीना मुहाल है
ये आप ही बताइये अब क्या खयाल है
जो झूठ के है साथ वही ऐश कर रहा
दामन जो सच का थामता होता हलाल है
हो साथ आपका तो कोई बात भी करे
चुप हो गये हैं आप इसी का मलाल है
तनहाइयों का साथ मिला नींद खो गयी
जागी नज़र में ख़्वाब हैं ये भी कमाल है
ग़म हिज्र का मिला तो आसमान रो दिया
मोती बना जो अश्क़ हुआ बेमिसाल है
</poem>