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08:22, 19 मार्च 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना वर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=शाम सुहानी / रंजना वर्मा
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
कठिन है बहुत ज़िन्दगी से निभाना
पड़ेगा मगर इस से नजरें मिलाना
बहुत दिन रहे गैर बन महफिलों में
अचानक हुआ दिल किसी का दिवाना
न सुध-बुध रही था नहीं होश कोई
चला प्रेम जादू किसी ने न जाना
बिना साँस के ज़िन्दगी कब रहेगी
इसी से ज़रूरी शज़र है लगाना
गगन भी सभी का धरा भी सभी की
पड़ेगा मगर आशियाना बनाना
</poem>