951 bytes added,
08:22, 19 मार्च 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना वर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=शाम सुहानी / रंजना वर्मा
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
हमारे दिल को सूना कर गये हो
सभी कहते खुदा के घर गये हो
जिसे कहते रहे हो दिल हमारा
चलाकर क्यों वहीं नश्तर गये हो
तुम्ही पतवार तुम ही नाखुदा थे
मेरे हालात कर बदतर गये हो
कभी सोचा न था ऐसा भी होगा
दिखाकर जो अजब मंजर गये हो
अभी भी राह तकते हैं तुम्हारी
जिन्हें तुम यूं अकेला कर गये हो
</poem>