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08:23, 19 मार्च 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना वर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=शाम सुहानी / रंजना वर्मा
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
कभी हमसे मिलाया दिल किसी ने
बड़ा बेबस बनाया दिल किसी ने
दिखा तौबा शिकन नाजुक अदाएँ
था बन्दर-सा नचाया दिल किसी ने
परखने को खुद अपनी बेवफाई
है शीशे-सा सजाया दिल किसी ने
बुलंदी छू न पाया आसमाँ की
तो पत्थर पर गिराया दिल किसी ने
हमारी ही शराफत ने सँभाला
था पानी-सा बहाया दिल किसी ने
</poem>