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बिना किसी बात के / नाज़िम हिक़मत / अनिल जनविजय
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15:52, 17 अप्रैल 2019
और हर बार जब भी मैं पानी के क़रीब जाता हूँ
तो वहाँ हर बार मैं, बस, तेरी परछाईं ही पाता हूँ
1960
'''रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
</poem>
अनिल जनविजय
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