बिना किसी बात के / नाज़िम हिक़मत / अनिल जनविजय
बिना किसी बात के मेरे मन में कुछ होता है
बेहद घबराहट होती है और मेरा मन रोता है
बिना किसी बात के अपना काम छोड़ देता हूँ
भूल जाता हूँ कि मैं कौन हूँ और कहाँ बैठा हूँ
बिना किसी बात के मैं सपने देखा करता हूँ
होटलों में रहता हूँ और मन ही मन डरता हूँ
बिना किसी बात के मैं पेड़ पर चढ़ जाता हूँ
बिना किसी कारण ही दीवारों से लड़ जाता हूँ
बिना किसी बात के सुस्त भेड़िया बन जाता हूँ
बिना किसी बात के मैं चान्द पर चिल्लाता हूँ
बिना किसी बात के तारे बाग़ में आते हैं
झूलते हैं झूले पर और मुझे भी झुलाते हैं
बिना किसी बात के मुझे क़ब्र दिखाई देती है
और उस क़ब्र में मेरी हलकी छाया रहती है
बिना किसी बात के सुनहरा दिन मन में बस जाता है
बिना किसी बात के मेरा सिर लगातार चकराता है
और हर बार जब भी मैं पानी के क़रीब जाता हूँ
तो वहाँ हर बार मैं, बस, तेरी परछाईं ही पाता हूँ
1960
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय