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06:58, 8 मई 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[रेंवतदान चारण]]
|अनुवादक=
|संग्रह=उछाळौ / रेंवतदान चारण
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<poem>
छप्पनै पछै तौ छिन्नवौ पचीसो अर छाईस
चिड़ियानाथ री चूक सूं काळ झाळ ली ईस
कै तौ लागै मेह झड़ के नहरां आवै नीर
माटी धापै मुरधरा काळ समंदरां तीर
</poem>
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