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12:18, 25 जून 2019 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=नीलम पारीक
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
माँ
तू तो कैंवती
के बेटियां चिड़कली होवे
उड़ जावे एक दिन
पर माँ
चिड़कली तो खुले आकास में उड़े
मैं चिड़कली हूँ तो
कठे है मेरो आकास...???
</poem>
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