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07:30, 4 अक्टूबर 2019 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार= कुमार मुकुल
|संग्रह=
}}
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<poem>
काम हैं गब्बर से
और सूरत है भोलीगोडसे जी आप खूब
करते हो ठिठोली
पहले छूते हो पांव
फिर मारते हो गोलीअदा है खूब लो यह
अक्षत,चंदन, रोली।
</poem>