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18:30, 15 जनवरी 2020 ताक रहे हो गगन ?
मृत्यु - नीलिमा - गहन गगन ?
अनिमेष, अचितवन, काल-नयन ?
नि:स्पंद, शून्य, निर्जन, नि:स्वन ?
देखो भू को ! जीव प्रसू को !
हरित भरित पल्लवित मर्मरित
कूजित गुंजित कुसुमित भू को !
कोमल चंचल शाद्वल अंचल,
कल-कल छल-छल चल-जल-निर्मल,
कुसुम खचित मारुत सुरभित
खग कुल कूजित प्रिय पशु मुखरित
जिस पर अंकित सुर-मुनि-वंदित
मानव पद तल !
देखो भू को
स्वर्गिम भू को,
मानव पुण्य-प्रसू को !