{{KKRachna
|रचनाकार=निलिम कुमार
|अनुवादक=अनिल जनविजय
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मेरे एक कमरे में वह पढ़ता है,
दूसरे कमरे में
खाना खाता है,एक कमरे में वह गीत गाता है,और एक दूसरे कमरे में सोता है।
उसने मेरे दिल के सभी चारों कमरे
घेर रखे हैं।
वह और कोई नहीं—दुख है। '''मूल बांगला से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
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