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11:12, 15 जून 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= इरशाद अज़ीज़
|अनुवादक=
|संग्रह= मन रो सरणाटो / इरशाद अज़ीज़
}}
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<poem>
औ तो हुवणो ईज है
रोवणो है मन सूं
या ऊपरलै मन
तेजाब रो रुकणो
अेक ई जग्यां उबळणो
फूलां रै सुपनां नैं
राख कर देवै
सांस-सांस मांय
धुंवो भर देवै
हर बार
लागै है
हर आवती-जावती सांस
आखरी
इण फूठरी-फर्री
दुनियां मांय।
</poem>
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