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<poem>
ग़म नहीं हो तो ज़िंदगी भी क्या
ये गलत ग़लत है तो फिर सही भी क्या
सच कहूँ तो हज़ार तकलीफ़ें
रंग वो क्या है जो उतर जाए
जो चली जाए वो खुशी ख़ुशी भी क्या
</poem>
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