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07:46, 17 अगस्त 2020 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=हरिमोहन सारस्वत
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
यह भी एक खबर हो सकती है
कि आज नहीं है कोई भी खबर
थानों में शांति है
दफ्तरों में सन्नाटा है
कोई नेता भी नहीं बहका है
कहीं आग नहीं दहकी है
सड़क पर नहीं बिखरा है
किसी का खून
नहीं हुआ है कोई प्लेन क्रेश
नहीं आया है कोई भूचाल
किसी ने नहीं मचाया
कोई बवाल
गर वाकई ऐसा है
तो चलो यूं कर लें
सन्नाटे और शांति की खबर बनाएं
और आज अखबार के
सारे पन्ने खाली छोड़ दें !
</poem>
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