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यादें निकल के घर से न जाने किधर गईं / जहीर कुरैशी
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,
16:23, 23 सितम्बर 2008
या मेरी ‘रिस्टवाच’ की सुइयाँ ठहर गईं !
उस पार करने वाले के
साहद्स
साहस
को देखकर
नदियाँ चढ़ी हुईं थीं, अचानक उतर गईं
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द्विजेन्द्र द्विज