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05:55, 7 सितम्बर 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश तन्हा
|अनुवादक=
|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
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<poem>
बच्चों को यतीम छिड़ देती है मौत
जिंदों के दिलों को तोड़ देती है मौत
कुछ चलती नहीं किसी की इनके आगे
मग़रूर सरों को फोड़ देती है मौत।
</poem>