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कुछ ट्रेनें ऐसी भी/ अमरनाथ श्रीवास्तव
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15:46, 27 मार्च 2021
छोटे से दर्पण की
निष्ठुर हैं
चंचल
चँचल
छायाएँ
तो कई प्यार —
कई बार झूठे हैं
अनिल जनविजय
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