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19:03, 28 मई 2021 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ग्योर्गोस सेफ़ेरिस
|अनुवादक=प्रयाग शुक्ल
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
बस, थोड़ा और
दिखेंगे फिर फूलते बादाम वृक्ष
चमकते सूर्य में संगमरमर
समुद्र, और लहरें घुँघराली
थोड़ा ही और
ज़रा हो लें ऊंँचे की ओर —
और !
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : प्रयाग शुक्ल'''
</poem>