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23:07, 25 नवम्बर 2021 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राबर्ट ब्लाई
|अनुवादक=यादवेन्द्र
|संग्रह=
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<Poem>
सर्द और बर्फ़ीली रात
सड़कें सुनसान, बे-आवाज़
चलते-फिरते मिले तो
आवारा बर्फ़ के भँवर
लेटरबॉक्स खोलते छू गई
ठण्ड से गलती लोहे की खिड़की ....
इस बर्फ़ीली रात का
निजी एकान्त
खूब लुभाता है मुझे
लौटते हुए घर जाऊँगा लम्बे रास्ते
कुछ और वक़्त जाया करूँगा
अपने साथ अकेले रहने में ....
'''अंग्रेज़ी से अनुवाद : यादवेन्द्र
</poem>
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