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मैं टहलने के लिए निकला हूँ
चान्द डूब चुका है
पैरों के नीचे जुते हुए खेत हैं
आकाश में तारे भी नहीं हैं
रोशनी का कहीं कोई नाम-ओ-निशान भी नहीं ।
मेरा वह हर दिन
बरबाद हो गया
जो मैंने अकेले-अकेले एकान्त में नहीं बिताया ।
'''अंग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
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