भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
लम्बी व्यस्तता के बाद / राबर्ट ब्लाई / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
हफ़्तों तक मेज़ पर बैठे रहने के बाद
मैं टहलने के लिए निकला हूँ
चान्द डूब चुका है
पैरों के नीचे जुते हुए खेत हैं
आकाश में तारे भी नहीं हैं
रोशनी का कहीं कोई नाम-ओ-निशान भी नहीं ।
मान लें
इस खुले मैदान में
एक घोड़ा
दौड़ रहा होता मेरी ओर सरपट,
मेरा वह हर दिन
बरबाद हो गया
जो मैंने एकान्त में नहीं बिताया ।
अंग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़ें
Robert Bly
After Long Busyness
I start out for a walk at last after weeks at the desk.
Moon gone plowing underfoot no stars; not a trace of light!
Suppose a horse were galloping toward me in this open field?
Every day I did not spend in solitude was wasted.