|संग्रह=हम जो देखते हैं / मंगलेश डबराल
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भारी मन से चले गए हम
तजकर पुरखों का घरबार
पीछे मिट्टी धसक रही है
गिरती पत्थर की बौछार
थोड़ा मुड़कर देखो भाई
कैसे बन्द हो रहे द्वार
उनके भीतर छूट गया है
एक एक कोठार ।
(1992)
('''लीजिए, अब यही कविता अँग्रेज़ी में पढ़िए''' Manglesh Dabral SONG OF THE DISLOCATED With a heavy heart we left tore away from the ancestral homemud slips behind us nowstones fall in a hail look back a bit brother how the doors shut themselvesbehind each one of thema small granary utterly forlorn. 1992(Translated from Hindi by Asad Zaidi)</poem>