Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= बैर्तोल्त ब्रेष्त |अनुवादक=सुरे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= बैर्तोल्त ब्रेष्त
|अनुवादक=सुरेश सलिल
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita‎}}
<Poem>
एक था स्कूल मास्टर
नाम था उसका हुबर !
जंग का जनून हरदम
छाया रहता था उसपर ।

फ़्रीडरिख़ महान का ज़िक्र आता
उसकी बातों में
तो चिनगारियाँ चटखने लगतीं
उसकी आँखों में ।

मगर राष्ट्रपति पीक का जादू
कत्तई नहीं चलता उस पर ।

उसके साथ आई
श्मिटन नाम की एक धोबन ।
मैल से, गन्दगी से
थी उसकी अनबन ।

मास्टर हुबर को दिया
उसने कसकर धक्का
सीधे टब में जाकर गिरा
वह भचक्का ।

कपड़ों की ही तरह
फींच-फाँच कर
गत बना गई उसकी
श्मिटन नाम की वो धोबन ।

1950 : ’बच्चों के लिए लिखे गए गीत’ से

'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल'''
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,616
edits