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इस शहर की हालत आज ऐसी है / बैर्तोल्त ब्रेष्त / अनिल जनविजय
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17:49, 16 दिसम्बर 2021
फिर भी कभी-कभी ऐसा होता है
जब मैं होता हूँ परेशान या अनमना
वे मुझे
उलझने
उलझन
में डाल देते हैं
और पूछते हैं सवाल — मैं दगाबाज़ तो नहीं हूँ,
छल तो नहीं कर रहा हूँ उनके साथ ?
अनिल जनविजय
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