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10:54, 9 जनवरी 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शुभोनाथ
|अनुवादक=तनुज
|संग्रह=
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<poem>
एक कवि मिलता है दूसरे कवि से
जैसे बीड़ी से मिलती है तिल्ली की आग
पूनम की रात का वह क्षण
आँखें भिंच जाती हैं तब —
देखकर
चांद के सफ़ेद चमकीले पँख
नशे का उतरता है नक़ाब
और कवि मिल लेता है
बीच चौराहे पर, अपने ही प्रतिबिम्ब से !
एक तितली भी साथ-साथ
बैठ चुकी होती है फूल पर
भूलकर ख़याल वक़्त का...
'''मूल बांगला से अनुवाद : तनुज'''
</poem>
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