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15:10, 21 जनवरी 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अपअललोन ग्रिगोरिइफ़
|अनुवादक=अनिल जनविजय
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
उमस भरी है शाम ये
हवा गरज रही है
और देसी कुत्ता
भूँक रहा है
दाँत में दर्द हो जैसे
वैसे
दिल हूक-हूक रहा है ।
'''मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
'''और लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए'''
Аполло́н Григо́рьев
Вечер душен, ветер воет
Вечер душен,
ветер воет,
Воет пес дворной;
Сердце ноет,
ноет, ноет,
Словно зуб больной.
</poem>