भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उमस भरी है शाम ये / अपअललोन ग्रिगोरिइफ़ / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
उमस भरी है शाम ये
हवा गरज रही है
और देसी कुत्ता
भूँक रहा है
दाँत में दर्द हो जैसे
वैसे
दिल हूक-हूक रहा है ।
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय
और लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
Аполло́н Григо́рьев
Вечер душен, ветер воет
Вечер душен,
ветер воет,
Воет пес дворной;
Сердце ноет,
ноет, ноет,
Словно зуб больной.