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14:34, 28 जनवरी 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रेखा राजवंशी
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<poem>
ढूंढती हूँ
अपना भारत
तीजों, त्योहारों में
क्रिसमस की हलचल में
तोहफे, उपहारों में।
ढूंढती हूँ
अपना भारत
होली, दीवाली में
खोजती हूँ भूला सुर
भजन, कव्वाली में।
टांग देती हूँ
बालकनी में
रंग-बिरंगा कंदील
रख देती हूँ पूजा में
बताशे और खील
सजा देती हूँ
दरवाज़े पर
गुजराती बंदनवार
कंगारूओं के देश में
कर लेती हूँ
अपना भारत साकार।
</poem>