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07:38, 22 अप्रैल 2022 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=विष्णु नागर
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<poem>
बुलडोजर एक विचार है
जो एक मशीन के रूप में सामने आता है
और आँखों से ओझल रहता है
बुलडोजर एक विचार है
हर विचार सुन्दर नहीं होता
लेकिन वह चूँकि मशीन बन आया है तो
इस विचार को भी कुचलता हुआ आया है
कि हर विचार को सुन्दर होना चाहिए
बुलडोजर एक विचार है
जो अपने शोर में हर दहशत को निगल लेता है
तमाशबीन इसके करतब देखते हैं
और अपने हर उद्वेलन पर ख़ुद
बुलडोजर चला देते हैं
जब भी देखो मशीन को
इसके पीछे के विचार को देखो
वरना हर मशीन जिसे देखकर बुलडोजर का ख़याल तक नहीं आता
बुलडोजर साबित हो सकती है ।
</poem>
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