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{{KKRachna
|रचनाकार=बैर्तोल्त ब्रेष्त
|अनुवादक= उज्ज्वल भट्टाचार्य
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<Poem>
चांसलर एक मामूली सी देहाती झोपड़ी में रहता है
बेहतर होता कि वह एक महल में रहता सम्राट नीरो की तरह
और मेहनतकश लोगों के पास रहने को कमरा होता ।

चांसलर गोश्त नहीं खाता है
बेहतर होता, कि वह दिन में सात बार खाता
और मेहनतकश लोगों को दूध नसीब होता ।

चांसलर पीता नहीं है
बेहतर होता, कि वह हर रात मतवाला होकर बाहर आ जाता
और नशे में सच बोल देता ।

चांसलर सुबह से देर रात तक काम करता है
बेहतर होता, कि वह आराम करता
और उसके ज़ालिम कानून कभी लागू ही न होते ।

'''मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य'''
</poem>
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