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09:27, 30 अप्रैल 2022 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=शेखर सिंह मंगलम
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<poem>
आप मुझे भरोसे में नहीं लिए
मैं इंसानों पर
अप्रतिबंधित भरोसा कर लेता हूँ;
यह अलग बात कि
आप खुद को समझदार
और मुझे मूर्ख समझ रहे किन्तु
मेरी समझ और आपकी समझदारी में
वृक्षारोही गिलहरी और लोमड़ी का अंतर है।
</poem>