भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अंतर / शेखर सिंह मंगलम
Kavita Kosh से
आप मुझे भरोसे में नहीं लिए
मैं इंसानों पर
अप्रतिबंधित भरोसा कर लेता हूँ;
यह अलग बात कि
आप खुद को समझदार
और मुझे मूर्ख समझ रहे किन्तु
मेरी समझ और आपकी समझदारी में
वृक्षारोही गिलहरी और लोमड़ी का अंतर है।