Changes

मैं / मृत्युंजय कुमार सिंह

668 bytes added, 05:56, 20 जुलाई 2022
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मृत्युंजय कुमार सिंह |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मृत्युंजय कुमार सिंह
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
मैं - एक दीया
आस्था औ' विश्वास का तेल
भावना की बाती
चेतना की आग
सबका मेल
जलाती है मेरे जीवन की शिखा;

फिर चुकता जाता है तेल
जलती जाती है बाती
धीमी पड़ती है शिखा
और शेष बचता हूँ
मैं - एक दीया।
</poem>