बलूत काठ से बने पालने में वो सो रहा था दीप्तिमान,
ज्यों किसी वृक्ष के खोखल में गिरे चन्द्रकिरण प्रभावान ।
बदल लिया अब पहना दिया गया था उसे भेड़ की खाल के का फ़रकोट सेबैल उसके नथुने थे बैलों के नथुनों से बदला था उसे औ’ जैसे और किसी गधे के जैसे होंठ से ।
वे खड़े हुए थे छाँव में ज्यों किसी पशुबाड़े के धुन्धलके में,
दूर किया पालने से इस तरह वह जादूगर, सयाना मायावी ।
तब उसने देखा पीछे मुड़कर माँ अतिथि सी मरियम कुँवारी को गुरूर , देखा गुफ़ा-द्वार सेउसने भीतर, क्रिसमस का सितारा तारा झाँक रहा था, अतिथि-सा वहाँ दूर आसमान से धरती पर ।
Ему заменяли овчинную шубу
Ослиные губы и ноздри вола.
Стояли в тени, словно в сумраке хлева,
Шептались, едва подбирая слова.
Вдруг кто-то в потёмках, немного налево
От яслей рукой отодвинул волхва,
И тот оглянулся: с порога на Деву,
Как гостья, смотрела звезда Рождества.
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