गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
माँड़ / शिरोमणि महतो
3 bytes added
,
05:20, 29 अगस्त 2022
हल्ला इतना ज़ोर से हुआ था कि
घर की दींवारें दरक
गई
गईं
एक घर में कई दीवारें हो गईं
और एक दीवार में कई द्वार !
</poem>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits