Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रवीन्द्रनाथ ठाकुर |अनुवादक=सुलो...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रवीन्द्रनाथ ठाकुर
|अनुवादक=सुलोचना वर्मा
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
अन्तर मेरा विकसित करो
अन्तरतर हे !

निर्मल करो, उज्ज्वल करो,
सुन्दर करो हे !
जाग्रत करो, उद्यत करो,
निर्भय करो हे !
मंगल करो, निरलस नि:संशय करो हे !
अन्तर मेरा विकसित करो,
अन्तरतर हे ।

सबके संग युक्त करो,
मुक्त करो हे बन्ध,
सकल मर्म में संचार करो
शान्त तुम्हारे छ्न्द ।
चरणकमल में चित्त मेरा निस्पन्दित करो हे,
नन्दित करो, नन्दित करो,
नन्दित करो हे !
अन्तर मेरा विकसित करो
अन्तरतर हे !

'''मूल बांगला से अनुवाद : सुलोचना वर्मा'''
</poem
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,606
edits