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दिन में दिन रात को रात / देवनीत / रुस्तम सिंह
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17:39, 11 अक्टूबर 2022
रात को
इंकलाब की ज़रूरत नहीं है ।
'''मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद : रुस्तम सिंह'''
</poem>
अनिल जनविजय
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