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20:21, 11 अक्टूबर 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=देवनीत
|अनुवादक=जगजीत सिद्धू
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
तुम,
अभी, कुछ क़दम ही चले हो,
मैंने
तय कर लिया है, बहुत सफ़र,
मैं
अपने सफ़र के अनुभव
कैसे तुम्हें समझाऊँ,
मैं तुम्हें .... बड़ा समझता हूँ,
पर तुम मुझे .....बड़ा कहते हो ....
—
'''मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद : जगजीत सिद्धू'''
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