भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पार्क में बूढ़ा और बच्चा / देवनीत / जगजीत सिद्धू

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 तुम,
अभी, कुछ क़दम ही चले हो,

मैंने
तय कर लिया है, बहुत सफ़र,

मैं
अपने सफ़र के अनुभव
कैसे तुम्हें समझाऊँ,

मैं तुम्हें .... बड़ा समझता हूँ,
पर तुम मुझे .....बड़ा कहते हो ....


मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद : जगजीत सिद्धू