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'''सन्दर्भ :'''
म्यूनिख के समीप नाज़ी यातना शिविर का स्थल, जहाँ विभिन्न आँकड़ों के अनुसार लगभग दो लाख लोगों को तरह-तरह की शारीरिक यातनाएँ दी गईं और फिर नष्ट किया गया । 10 जनवरी 1960 के ‘सण्डे एक्सप्रेस’ में प्रकाशित स्टेव गार्डनर की रपट के मुताबिक यह संख्या 2,30,000 है; मार्टिन नीलोमर, जो स्वयं दखाव दख़ाव में बन्दी था, द्वारा दिए गए 1945 के दखाव दख़ाव स्थित एक अभिलेख के सन्दर्भ के आधार पर वहाँ नाज़ियों ने 2,38,756 लोगों का संहार किया था ।
'''अनुवादक की टिप्पणी :'''
कविता एक से अधिक अंग्रेज़ी अनुवादों पर आधारित है, ताकि कविता की अंतरअन्तर-वस्तु अपने मूल अर्थ और संदर्भ सन्दर्भ के अधिक से अधिक समीप रहे. दो भाषाओं की अलग चरित्र-विशिष्टता के कारण कहीं-कहीं काव्य-अभिव्यक्ति बदल दी गई हैं.
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : मदन केशरी'''
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