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इसी भुलावे में / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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16:28, 8 जनवरी 2023
सूरज का डर, गली-गली ।
होँठों पर
मधु की सरिताएँ
,
झरने हैं,
इसी भुलावे-
वीरबाला
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