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11:56, 9 जनवरी 2023 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रामकुमार कृषक
|अनुवादक=
|संग्रह=सुर्ख़ियों के स्याह चेहरे / रामकुमार कृषक
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<poem>
एक दुर्घटना बचाते
दूसरी से ग्रस्त हो जाना
बहुत सम्भव !
बहुत सम्भव
होश आना इस तरह से
होश खोना
क्रुद्ध लहरों से निकल
होना भँवर का,
और फिर
उसको हराते / हारते ख़ुद
पस्त हो जाना
बहुत सम्भव !
बहुत सम्भव
आग से दहते बदन पर
डालना जल
उधड़ जाना
चाक करना चीख़ बन
नभ का कलेजा,
और फिर
उसको कँपाते / काँपते ख़ुद
त्रस्त हो जाना
बहुत सम्भव !
7-9-1976
</poem>