गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
ज़िन्दगी / विलिमीर ख़्लेबनिकफ़ / वरयाम सिंह
3 bytes added
,
07:25, 19 जनवरी 2023
दे बैठा था वह जान इन दाँतों से भिड़ते हुए
दिखाई दे रहा है वही
खोर्स
ख़ोर्स
* आकाश में
मूसलाधार बारिश ने उसे जीवित देखा था
अब वह मिट्टी का ढेला है जमा हुआ ।
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits