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ज़िन्दगी / विलिमीर ख़्लेबनिकफ़ / वरयाम सिंह

चेरी पर टिके ओसकणों को
तू पोंछ डालती है अपने लहराते बालों से
और जल्‍लाद के ठहाकों के बीच से निकल आता है वह
जिसकी रुकती नहीं है हँसी ।

कभी चुप बैठ जाती हो
काली आँखों वाली भविष्‍यवाचिका की तरह,
कभी विशालकाय हाथी के दाँत पर
बैठी होती हो ठहाके लगाती जलपरी की तरह ।

दे बैठा था वह जान इन दाँतों से भिड़ते हुए
दिखाई दे रहा है वही ख़ोर्स* आकाश में
मूसलाधार बारिश ने उसे जीवित देखा था
अब वह मिट्टी का ढेला है जमा हुआ ।

यहाँ गरमी के मौसम की तरह नाज़ुक उछलती हो तुम
चाकुओं के बीच उज्‍ज्वल लपटों की तरह
यहाँ आर-पार गुजरते तारों के बादल हैं
और मृतकों के हाथ से गिर पड़ी है ध्‍वजा ।

काल के प्रवाह को तेज़ किया तुमने
जल्‍दी-जल्‍दी सज़ा सुना रही हो जल्‍लाद को ।
और यहाँ गोलीबारी का शिकार —
ख़ून से लथपथ पड़ा है जीवन का कछुआ ।

यहाँ लाल हँसों की झिलमिलाहट
चमकती है नए पंखों की तरह
वहाँ बूढ़े ज़ार के समाधि-लेख को
ढक रखा है रेत ने ।

यहाँ घोड़े के बच्‍चे की तरह स्‍वच्‍छन्द
कूदती हो तुम सात-सात पंखों वाली राह पर,
यहाँ रक्‍ताभ राजधानी से आख़िरी बार
जैसे धीरे-से कहती हो — 'क्षमा करना'।

(ख़ोर्स : स्लाव पुराकथाओं में सूर्य देवता का एक नाम)

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह


लीजिए, अब रूसी भाषा में यही कविता पढ़िए
           Велимир Хлебников
                   Жизнь

Росу вишневую меча
Ты сушишь волосом волнистым.
А здесь из смеха палача
Приходит тот, чей смех неистов.

То черноглазою гадалкой,
Многоглагольная, молчишь,
А то хохочущей русалкой
На бивне мамонта сидишь.

Он умер, подымая бивни,
Опять на небе виден Хорс.
Его живого знали ливни —
Теперь он глыба, он замерз.

Здесь скачешь ты, нежна, как зной,
Среди ножей, светла, как пламя.
Здесь облак выстрелов сквозной,
Из мертвых рук упало знамя.

Здесь ты поток времен убыстрила,
Скороговоркой судит плаха.
А здесь кровавой жертвой выстрела
Ложится жизни черепаха.

Здесь красных лебедей заря
Сверкает новыми крылами.
Там надпись старого царя
Засыпана песками.

Здесь скачешь вольной кобылицей
По семикрылому пути.
Здесь машешь алою столицей,
Точно последнее «прости».

1919 г.