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{{KKRachna
|रचनाकार=रसूल हम्ज़ातव
|अनुवादक=मदनलाल मधु
|संग्रह=मेरा दग़िस्तान / रसूल हम्ज़ातव / मदनलाल मधु
}}
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<poem>
शक्ति बटोरेगे तुम बेटे और बड़े हो जाओगे
विकट भेड़िए के दाँतों से, माँस छीन तुम लाओगे ।

मेरे लाल ! बड़े तुम होगे, फुरती ऐसी आएगी
चीते के पंजों से वह तो, झपट परिन्दा लाएगी ।

मेरे लाल ! बड़े तुम होगे, तुमको सब फन आएँगे
बात बड़ों की तुम मानोगे, मीत बहुत बन जाएँगे ।

मेरे लाल ! बड़े तुम होगे, समझदार बन जाओगे
तंग पालना हो जाने पर, पँख लगा उड़ जाओगे ।

जनम दिया है मैंने तुमको, मेरे पूत रहोगे तुम
जो दामाद बनाए तुमको, उसको सास कहोगे तुम ।

मेरे बेटे ! तुम जवान हो, पत्नी प्यारी लाओगे
प्यारे देश, वतन की ख़ातिर, गीत मधुरतम गाओगे ।


'''रूसी भाषा से अनुवाद : मदनलाल मधु'''
</poem>
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